कुलधरा- एक रहस्य या पहेली

राजस्थान की धरा में कई रहस्यमयी कहानियां छिपी हैं। इनमें से कुछ का रहस्य तो सदियों बाद भी उजागर नहीं हो सका। कुलधरा गांव भी एक ऐसी ही अनसुलझी पहेली है जिसे 200 सालों में कोई नहीं सुलझा पाया। कुलधरा जैसलमेर से 18 किलोमीटर आगे दक्षिण-पश्चिम में है। रेगिस्तान के बीच बसा यह वीरान गांव आज पर्यटकों के लिए एक रहस्यमयी स्थल का प्रतीक है। कुलधरा एक ‘शापित और भूतिया गांव’ कहलाता है।

हर दिन बड़ी संख्या में पर्यटक इस जगह के रहस्य को समझने और भूतकाल की ओट में छुपी कहानियों एवं अवशेषों को गहराई से जानने यहां आते हैं। ये गांव दो सदियों से इसी तरह वीरान पड़ा है। कई लोगों ने यहां बसने और इस गांव को फिर से बसाने की कोशिश की, लेकिन किसी को कामयाबी हासिल नहीं हुई। 

कुलधरा गांव पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा 13वीं शताब्दी में बसाया गया। उस समय गांव में 85 से ज्यादा खुशहाल बस्तियां थी। किवदंतियों के अनुसार, जैसलमेर के राज्य मंत्री सलीम सिंह को इस गांव के विनाश का कारण माना जाता है, जिसकी बुरी नजर गांव की एक ब्राह्मण कन्या पर थी। उसने गांव वालों से उस कन्या को खुद को सौंपने और ऐसा न करने पर बुरा अंजाम भुगतने की धमकी दी। गांव वालों ने सम्मान के खातिर कुलधरा छोड़कर जाने का फैसला किया। 

रातोंरात गांव खाली हो गया और गांव वालों ने जाते-जाते कुलधरा को श्राप दिया- “यह गांव अब कभी नहीं बसेगा”। माना जाता है कि उस श्राप की वजह से 200 साल बाद भी कुलधरा वीरान पड़ा है।  

कुलधरा की प्रसिद्धि और लोकप्रियता को देखते हुए राजस्थान सरकार ने गांव को पर्यटन स्थल घोषित कर दिया। कुलधरा में घूमने का समय सुबह 8 से शाम 6 बजे तक निर्धारित है।

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