भानगढ़ – जहां किसी भी घर पर नहीं है छत

राजस्थान के अलवर जिले की अरावली की पहाड़ियों के बीच खड़ा भानगढ़ किला करीब 400 वर्ष पुराना है। भानगढ़ एक जर्जर किला और उजड़ा हुआ गांव है लेकिन इसकी प्राचीर और बनावट आज भी इसकी सुंदरता की कहानी बयां करती है। गौर करने वाली बात ये है कि किले के अंदर बने किसी भी घर पर छत नहीं है। लोगों का मानना है कि यहां भूतों का वास है, इसलिए इसे ‘भूतों का गढ़’ कहा जाता है।

भानगढ़ दुर्ग को 17वीं शताब्दी में मानसिंह प्रथम ने अपने छोटे भाई माधोसिंह प्रथम के लिए बनवाया था। किवदंती के अनुसार, सिंधु सेवड़ा नाम के तांत्रिक की नजर भानगढ़ की राजकुमारी पर थी, जिसकी खूबसूरती के चर्चे मशहूर थे। अघोरी तांत्रिक काले जादू में माहिर था। राजकुमारी इत्र की शौकीन थी इसलिए उसने एक इत्र में वशीकरण मंत्र फूंक दिया, ताकि राजकुमारी खुद चलकर तांत्रिक के पास चली आए, लेकिन ऐसा हो न सका।

राजकुमारी के हाथों से इत्र की शीशी एक चट्टान पर गिरकर फूट गई। तंत्र विद्या के चलते चट्टान लुढ़कती हुई तांत्रिक के पीछे पड़ गई और उसे कुचल दिया। मरते तांत्रिक ने भानगढ़ गांव को बर्बादी का श्राप दिया। माना जाता है कि इसी के चलते  यहां सभी की मौत हो गई और उनकी आत्मा को कभी मुक्ति नहीं मिली।

यहां पर कई बरगद के पेड़ हैं, जो इस जगह को डरावना बनाते हैं। लोगों का कहना है कि रात को जो भी इस किले में गया, वो कभी लौट कर नहीं आया। इस तरह की अनगिनत कहानियां भानगढ़ किले और इस गांव से जुड़ी हैं, जिनकी गुत्थी 400 साल बाद भी नहीं सुलझी। हालांकि कई लोग इन कहानियों को मनगढ़ंत मानते हैं, लेकिन प्रशासन ने एहतियातन शाम 5 बजे बाद किले में प्रवेश पर रोक लगा रखी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *