हमारा भारत रीति-रिवाजों और संस्कृति से ओतप्रोत देश है। हालांकि बदलते वक्त के साथ हम पश्चिमी रीति-रिवाजों से अधिक प्रभावित हो रहे हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि पश्चिमी संस्कृति हमसे काफी अलग है, लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि भारतीय सांस्कृतिक विरासत पश्चिम की संस्कृति की तुलना में कहीं अधिक समृद्ध है। जितनी हमारी संस्कृति समृद्ध है, उतनी ही समृद्ध हमारी हिन्दी भाषा है।
नि:स्संदेह हमारे देश में हिन्दी सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली भाषा है। लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि वर्तमान में अंग्रेजी के प्रति झुकाव अधिक है। कामकाजी स्थलों पर इसी भाषा का इस्तेमाल किया जाता हैै। किंतु हिन्दी हमारे देश की सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा के रूप में कहीं अधिक मजबूत है।
हिन्दी दुनिया की व्यापक रूप से बोली जाने वाली चुनिंदा भाषाओं में से एक है। भारत के अलावा, नेपाल, पाकिस्तान, मॉरीशस, फिजी, गुयाना और सूरीनाम में भी हिन्दी भाषी अधिक हैं। विश्व में हिन्दी का विकास एवं इसका अंतरराष्ट्रीय भाषा के तौर पर प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस भी मनाया जाता है।
भले ही हिन्दी दुनिया की व्यापक बोली जाने वाली भाषाओं में सम्मिलित है, परन्तु इसके मूल देश में लोग इसे महत्व नहीं देते हैं। स्कूल से लेकर कॉलेज, कॉर्पोरेट सहित अन्य स्थलों पर अंग्रेजी को अधिक प्राथमिकता दी जाती है। बहुत से लोग सिर्फ इसलिए काम करने का अवसर खो देते हैं, क्योंकि वे अंग्रेजी को धाराप्रवाह नहीं बोल पाते। यही वजह है कि हिन्दी माध्यम वाले विद्यालयों को अब उतना महत्व नहीं दिया जा रहा और हिन्दी पिछड़ जाती है।
हिन्दी दिवस हिन्दी भाषा के लिए सम्मान स्थापित करने का प्रयास है। हमारी उत्कृष्ट और समृद्ध संस्कृति को समझने-समझाने का प्रयास है। हिन्दी दिवस हमारे सांस्कृतिक जड़ों को फिर से देखने और अपनी समृद्धता का जश्न मनाने का दिन है। हिन्दी हमारी मातृभाषा है और हमें इसका मूल्य समझना चाहिए और इस भाषा के साथ गौरव महसूस करना चाहिए।