रणबांकुरों और वीरांग्नाओं की धरती, जिन्होंने अपने त्याग एवं बलिदान से अपनी मातृभूमि को सींचने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. महाराणा प्रताप से लेकर धरती का वीर योद्धा कहे जाने वाले पृथ्वीराज चौहान और राणा सांगा ने इसी मरू भूमि में जन्म लिया है. पन्नाधाय जैसी विरांग्नाएं भी इसी माटी में जन्मीं जिसने स्वामी भक्ति के चलते अपने जिगर के टुकड़े को कुर्बान कर दिया. राजस्थान का इतिहास ऐसी असंख्य वीर गाथाओं से भरा पड़ा है.
आजादी से पहले तक 22 देसी रियासतों वाले इस प्रदेश को राजपूताना के नाम से जाना जाता था. राजा रजवाड़ों का स्थान होने के चलते इसे राज+स्थान कहा गया. हालांकि इसके राजस्थान बनने की वजह कुछ और है. स्थानीय बोलचाल में राजस्थान को रायथान कहा जाता रहा है. रायथान के संस्कृत रूप से राजस्थान बना.
आजादी के बाद राजस्थान के एकीकरण की शुरुआत 18 मार्च, 1948 से हुई, जिसे 7 चरणों में पूरा किया गया. 30 मार्च, 1949 को चौथे चरण में प्रदेश की सबसे शक्तिशाली रियासतों जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर और बीकानेर का विलय कर ‘वृहत्तर राजस्थान संघ’ बना. इसे ही राजस्थान का स्थापना दिवस माना गया. 26 जनवरी, 1950 को राजपुताना का नाम बदलकर राजस्थान रखा गया।
अंतिम चरण में 1 नवंबर, 1956 को आबु दिलवाड़ा, अजमेर मेरवाड़ा, सुनेल टपा तहसील के विलय के साथ राजस्थान का एकीकरण पूरा हुआ. जयपुर को प्रदेश की राजधानी बनाया गया. राजस्थान के एकीकरण में भारत सरकार के तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल और उनके सचिव वी.पी. मेनन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही.
राजस्थान को ‘रंग रंगीलों राजस्थान’ की संज्ञा दी गई है. यहां सैंकड़ों तरह के रंग, उत्सव, मेले आदि वर्ष प्रयंत चलते रहते हैं. होली हो या फिर दिवाली या फिर हो दशहरा, हर तरह के रंग यहां देखने को मिल जाएंगे. हर साल लाखों की संख्या में विदेशी सैलानी यहां आते हैं.
यहां का कालबेलिया नृत्य, राजस्थानी थाली में शामिल दाल बाटी चूरमा, हैंड प्रिंट बंधेज व कोटा डोरिया की साड़ियां, लहंगा चुनरी, हैंडीक्राफ्ट, जोधपुरी सूट, जयपुरी रिजाईयां, घेवर और बीकानेरी नमकीन देश विदेशों में खास तौर पर पसंद की जाती है.
किलो के शहर जयपुर की चित्रकारी और स्थापत्य कला में गुलाबी रंग देखने को मिलता है. यहां का परकोटा विश्व विरासत में दर्ज है. इस शहर को छोटी काशी भी कहा जाता है.
थार का प्रवेश द्वार जोधपुर ब्लू सिटी के नाम से विख्यात है तो मरूभूमि जैसलमेर को स्वर्ण नगरी कहा जाता है. यहां की मिट्टी सोने की तरह आभा देती है.
इस साल राजस्थान अपना 73वां स्थापना दिवस मना रहा है. राजस्थान में 33 जिले, 352 पंचायत समितियां और 11341 ग्राम पंचायत शामिल हैं. प्रदेश अपनी सांस्कृतिक पहचान के साथ साथ औद्योगिकी और तकनीक में भी लगातार आगे बढ़ रहा है. मेट्रो ट्रेन शहरों को गति दे रही है. देश का पहला मेडिकल ऑक्सीजन उद्योग भी यहीं स्थापित है. बाड़मेर के पचपदरा में स्थापित ऑयल रिफाइनरी से निकलने वाला ‘काला सोना’ मरू प्रदेश की आर्थिक तकदीर बदलने में मील का पत्थर साबित होगा, ऐसी उम्मीद की जा सकती है.