आज का सोशल मीडिया

आज सोशल मीडिया इतना ज़रूरी हो गया है कि अगर कोई सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना नही जानता या वो सोशल मीडिया के किसी भी प्लैटफ़ार्म से जुड़ा हुआ नहीं  है तो हमारी नज़रों मे वो किसी काम के लायक नहीं है | आप यह कह सकते हो कि उसका इस जीवन बेकार हो गया |

आज आपके जितने ज़्यादा दोस्त या फॉलोअर्स सोशल मीडिया पर होंगे आप उतने ही ज़्यादा कामयाब माने जाएंगे | बस दोस्त (सिर्फ कहने के लिए) बनाने की होड़ लगी है कोई भी हो |  मुद्दे की बात पर आते हैं, कि आज जो हाल सोशल मीडिया का हो रखा है, इससे तो लगता है की यहाँ पर आपके दोस्त कम हैं और आपसे होड़ करने वाले आपकी टाँग खींचने वाले ज़्यादा हैं|

इस सोशल मीडिया के लिए आपने अपने सच्चे दोस्तों, रिश्तेदारों से दूरियाँ बना ली हैं | ऐसी दूरी की आप उनके पास होकर भी पास नहीं हैं| घर पर होकर भी आप घर पर नहीं हो | अपने घर पर भी अंजानों की तरह से रह रहें हैं | घर को घर रहने दो और सोशल मीडिया पर नहीं कम से कम घरवालों के साथ, दोस्तों के साथ, रिश्तेदारों के साथ तो सोशल हो जाओ| पता नहीं कोनसा सोशल होने के लिए जिस तरह से नफरत फैलाई जा रही है यहाँ पर उससे तो लगता ही नहीं है की यहाँ आपका कोई दोस्त या आपका अच्छा चाहने वाला भी हो सकता है | जो काम इस सोशल मीडिया का होना चाहिए था वो तो कम ही हो रहा है यहाँ पर सच से ज़्यादा झूठ देखने को मिल रहा है, भाईचारे से ज़्यादा नफरत है यहाँ |

सच को झूठ बताना और झूठ को सच ऐसे दिखाना की सच को भी शर्मा जाए यहाँ की ख़ासियत है | कुछ भी उल्टा सीधा दिखा कर आपके दिमाग का बैंड बजाया जा रहा है | खुद से सोचने समझने की शक्ति तो नही रही अब, अंधभक्तों की आबादी इतनी की एक पूरा नया देश बन जाए |

कोई बेचारा अपनी बात कहे तो भाईसाब ख़ैर नहीं उसकी, जो हमला होगा उस पर अंधभक्तों की सेना का तो बचना भारी पड़ जाएगा, देशद्रोही होने का मेडल मिलेगा |  हर तरफ इनका तांडव हो रहा है | इनके हिसाब से करो, इनके हिसाब से कहो अगर इस देश मे रहना है तो, वरना कोई और देश देखो भैया जी अपने लिए | सौ बात की एक बात है, साहब की आज जो आपको सोशल मीडिया दिखा रहा है वो ही देख रहे हो और वो ही सोच रहे हो | अपने दिमाग का इस्तेमाल भी कर लो साहब, सच और झूठ की परख करो | सही गलत का भेद जानो वरना अंधभक्तो  की भीड़ में ऐसे गुम हो जाओगे की फिर कभी इस अंधभक्ति से नहीं निकल पाओगे और अपना विनाश अपने हाथ से करोगे |

वो तो सुना ही होगा जब जागो तब सवेरा और न जागे तो अंधेरा ही अंधेरा !

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