— डेढ़ लाख दीपकों से पुष्कर घाट होगा रोशन, लोकल और विदेशी पर्यटकों के बीच पारंपरिक खेल प्रतियोगिता रहेगी आकर्षण का केंद्र, लम्पी डिजीज़ के चलते पशुओं को इस बार आयोजन से रखा गया है दूर।
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कार्तिक पुष्कर मेले की आभा एक नवम्बर से पुष्कर नगरी में फैलने वाली है। पशुओं में फैले लम्पी वायरस के चलते इस बार पशुओं को दूर रखा गया है। यानी इस बार ऊंट के करतब और पशुओं की खरीद-बिक्री से पुष्कर मेला को महरूम रहना होगा। कोरोना संक्रमण के चलते साल 2020 में आयोजन न होने और पिछले साल पर्यटक कम आने के चलते दोनों ही वर्ष पुष्कर मेले की चमक फीकी रही, लेकिन इस बार इसे भव्य आयोजन के रूप में तब्दील किया जा रहा है। अबकी बार पशु मेला और ऊंट मेले के तौर पर प्रख्यात इस आयोजन को आध्यात्मिकता से सरोबार किया जा रहा है।
1 से 8 नवंबर तक होगा आयोजन –
पुष्कर मेले का आयोजन 1 नवंबर से 8 नवंबर तक किया जा रहा है। आठ दिवसीय इस आयोजन की शुरुआत एक नवंबर को सुबह 10 बजे मेला ग्राउंड पर पूजा, झंडारोहण एवं नगाडा वादन के साथ होगी। इसके बाद अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। शाम को डेढ़ लाख दीपकों से पुष्कर घाट को रोशन किया जाएगा, जो प्रमुख आकर्षण होगा। दीपदान, रंगोली, महाआरती, लोकल और विदेशी पर्यटकों के बीच फुटबॉल, क्रिकेट संग पारंपरिक खेल सितोलिया, गिली डंडा, कबड्डी, रस्साकशी, पगड़ी पहन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। लोकल एवं विदेशी महिलाओं के बीच मटकी दौड़, म्यूजिकल चेयर और लंगड़ी दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन भी काफी पॉपुलर है। नेचर वॉक, आध्यात्मिक यात्रा इस बार के हाईलाइट आयोजन हैं। सेंड आर्ट और मेला ग्राउंड स्टेज पर वॉइस ऑफ पुष्कर लोकल आर्टिस्ट राजस्थानी संस्कृति से ओतप्रोत सांस्कृतिक कार्यक्रम हैं।
चार धामों का मुख्य द्वार है पुष्कर –
आध्यात्मिक नगरी या ब्रह्म नगरी पुष्कर को टेम्पल सिटी भी कहा जाता है। वजह है कि पुष्कर झील के चारों ओर कई घाट और 500 से अधिक मंदिर स्थापित हैं। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन सभी देवी देवता स्वर्ग से उतरकर इस झील में स्नान करते हैं। ऐसे में इस दिन पवित्र झील में स्नान करने से सभी प्रकार के चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन लाखों से संख्या में लोग पुष्कर झील में स्नान करते हैं। इस झील का वर्णन रामायण में भी किया गया है, इसलिए इसे हिंदू धर्म के चारों धामों का मुख्य द्वार या सभी तीर्थों का मुख भी कहा जाता है।
पौराणिक दृष्टिकोण से इस झील का निर्माण खुद जगतपिता भगवान ब्रह्मा जी ने कराया था। प्राचीनकाल से लोग यहां पर प्रतिवर्ष कार्तिक मास में एकत्रित हो भगवान ब्रह्मा की पूजा उपासना करते हैं। इस कारण झील के निकट ब्रह्मा जी का मंदिर भी बनाया गया है।
ऐसे पहुंचे पुष्कर –
आप किसी भी शहर से पुष्कर आसानी से पहुंच सकते हैं। अगर आप हवाई मार्ग से जाना चाहते हैं तो यहां का नजदीकी एयरपोर्ट किशनगढ़ है। यहां से अजमेर की दूरी 48 किमी. है। अगर आप बस या ट्रेन से आना चाहते हैं तो कई ट्रेनें और बस दिल्ली-जयपुर से होते हुए सीधे अजमेर पहुंचती है। जयपुर से अजमेर की दूरी 136 किमी है। अजमेर से पुष्कर का सफर बस या टैक्सी से किया जा सकता है। अजमेर के मुख्य रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से पुष्कर सिर्फ 11 किमी. है।