– राजस्थान में खास है दीपावली का त्योहार, भक्ति–श्रद्धा के साथ भव्य सजावट, लजीज व्यंजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की बहती है छटा, फायर बैलून है गुलाबी नगरी का खास आकर्षण
दीपावली: खुशियों और सुख–समृद्धि का त्यौहार। कार्तिक मास की अमावस्या को यह त्योहार पूरे भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन प्रभु श्री राम 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या लौट कर आए थे। उस याद में दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। वैसे तो देशभर में इस त्योहार को पूरी भक्ति, श्रद्धा एवं भव्यता के साथ मनाया जाता है लेकिन राजस्थान में दिवाली का त्योहार कुछ खास है।
राजस्थान जो अपनी खूबसूरती, राजसी भव्यता एवं संस्कृति के साथ साथ घूमर नृत्य और दाल बाटी चूरमा के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां दिवाली का कुछ अलग ही नजारा देखने को मिलेगा। राजस्थान के कुछ जगहों पर दिवाली के भव्य समारोह का आयोजन किया जाता है, जहां प्रदेश के शाही अंदाज और लजीज पकवानों की झलक देखने को मिलेगी। अगर आप भी इस बार दिवाली कुछ अलग अंदाज में मनाना चाह रहे हैं तो राजस्थान आपका इंतजार कर रहा है।
मांडना और रंगोली है खास –
वैसे तो प्रदेश के हर जिले में दिवाली का एक अलग नजारा होता है लेकिन गेरू और चॉक मिट्टी की सहायता से बनाई जाने वाली यहां की सजावटी चित्रकारी– मांडना और रंगोली राजस्थान की पारंपरिक विशेषता को बयां करती है। ये देखने में सुंदर तो है ही, इसमें वाले की मेहनत एवं कला दोनों साफ तौर पर नजर आती है। इस तरह की महीन सजावट कहीं ओर देखने को नहीं मिलेगी। गांवों में गोबर से कच्चे घरों को लीपने की प्रथा भी देखने को मिलती है। कई कई क्षेत्रों में दिवाली पर फसल, मिट्टी और पशुधन की लक्ष्मी के रूप में पूजा की जाती है।
पिंक सिटी जयपुर –
राजस्थान की राजधानी जयपुर में भी दिवाली की अलग ही धूम होती है। दिवाली पर यह शहर गुलाबी की जगह कई तरह की रंगीन रोशनी में नहाया होता है। आमेर, हवामहल, जयगढ़, सरगासूली और सिटी पैलेस के साथ साथ यहां के बाजारों को भी खास अंदाज में सजाया जाता है, जो देखने लायक है। हजारों की संख्या में यह सजावट देखने पर्यटक जयपुर आते हैं। नाहरगढ़ से उड़ाए जाने वाले फायर बैलून की अपनी अलग ही बात है। इनकी रोशनी की चमक में आकाश भी नहाया दिखाई देता है। बाजारों में सजावट के साथ विभिन्न प्रकार के पकवानों का लुत्फ उठाकर आप अपनी दिवाली को यादगार बना सकते हैं।
आध्यात्मिक नगरी पुष्कर –
अजमेर में स्थित पुष्कर झीलों और खूबसूरत पहाड़ों से घिरा हुआ है। हल्की सर्दी और दिवाली के आसपास से आध्यात्मिक नगरी पहले से कहीं अधिक लुभावनी हो जाती है। पुष्कर में राजस्थानी परंपरा के रंग देखने को मिलते हैं. इसके साथ ही यहां की आध्यात्मिकता का प्रतीक पुष्कर झील दीपों से नहायी हुई होती है। ऐसा लगता है कि लाखों दीप पुष्कर झील में तैर रहे हों। इसके अलावा, 5 दिवसीय भव्य उत्सव एवं पशु मेले में कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का यहां आनंद उठाया जा सकता है।
झीलों की नगरी उदयपुर –
झीलों की नगरी उदयपुर दिवाली के दिन और भी ज्यादा खूबसूरत हो जाता है। ऐसे में दीपोत्सव के समय यहां घूमने का मजा दोगुना हो जाता है। शहर की सभी झीलें और यहां के महल दीयों की रोशनी में ज्यादा खूबसूरत लगने लगते हैं, जैसे रात की चांदनी में सैंकड़ों तारें जमीं पर उतर आए हों। यहां के हैरिटेज होटलों पर की गई रंगीन रोशनी एवं सजावट भी देखने लायक होती है, जो आपके पर्यटन का मजा दोगुना कर देगी। शहर के करीब स्थित नाथद्वारा में कई सारे कृष्ण मंदिरों में भी दिवाली का खास उत्सव मनाया जाता है।
मरुस्थल का सिरमौर जैसलमेर –
यूं तो राजस्थान का जैसलमेर अपने विशाल रेगिस्तान के लिए मशहूर है, लेकिन यहां दिवाली भी एकदम जुदा अंदाज में मनाई जाती है. स्वर्णिम आभा लिए जैसलमेर की सुनहरी रेज जब दीप, फूल और रंग बिरंगी रोशनी से जगमगाती है तो इसकी सुंदरता को चार चांद लग जाते हैं। यहां दिवाली पर दो दिवसीय मेला भी भरता है। हजारों की संख्या में पर्यटक खासतौर से दिवाली के उत्सव में शामिल होने के लिए जैसलमेर आते हैं। यहां के लोक नृत्य, व्यंजन के साथ साथ विश्व प्रसिद्ध कैमल राइडिंग का लुत्फ लेंगे तो ये सोने पर सुहागा जैसा अनुभव होगा।
सूर्य नगरी जोधपुर –
राजस्थान की ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक जोधपुर पर्यटकों में खासा पसंदीदा स्थल है। दशहरा महोत्सव के साथ यहां दीपोत्सव की शुरुआत होती है। इस मेले में रामचंद्र जी की सवारी भव्य शोभायात्रा पारंपरिक वस्त्रों में सजे धजे स्थानीय लोगों द्वारा बैंड बाजे के साथ निकाली जाती है। शोभायात्रा में गेर नृत्य, मयूर नृत्य, गरबा नृत्य आदि राजस्थानी नृत्यों का प्रदर्शन किया जाता है। दिवाली पर यहां की ऐतिहासिक एवं भव्य आतिशबाजी का नजारा भी देखने लायक होता है। यहां के मेहरानगढ़ फोर्ट, उम्मेद भवन पैलेस, मंडोर गार्डन, कायलाना झील और ओसिया माताजी मंदिर में इस मौके पर कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसे देखकर आप यहां की संस्कृति के बारे में भी जान सकते हैं।
शिक्षा नगरी कोटा –
एज्युकेशन हब के तौर पर विख्यात कोटा दिवाली पर एक अलग ही छटा ओढ़े नजर आता है। यहां की किशोर सागर झील के किनारे पर स्थित विश्व के 7 आश्चर्य और उन पर की गई सजावट ऐसी होती है कि आप चाहकर भी इसे भूल नहीं पाएंगे। कोटा के आस पास सभी बांध और झीलों को दीपों से सजाया जाता है, जो न भूलने वाला अनुभव साबित होगा।
रंग बिरंगा दौसा शहर –
अगर ग्रामीण परिवेश से रूबरू होना चाहते हैं तो इस दिवाली दौसा शहर आपका ही इंतजार कर रहा है। दौसा में आपको रंग बिरंगी पगड़ी और धोती कुर्ता पहने ग्रामीण परिवेश वाला माहौल आसानी से मिल जाएगा। दिवाली पर यहां स्थित भूतेश्वर मंदिर, आभानेरी और अन्य स्थलों को आकर्षक रोशनी एवं दीयों से सजाया जाता है।
दौसा के नजदीक अलवर शहर को भी दिवाली पर दुल्हन जैसा सजाया जाता है। यहां स्थित सिलसेर झील को दीपों से सजाया जाता है जो मनमोहक दृश्य है।
इन सभी के अलावा, माउंट आबू, रणथम्बोर, भीलवाड़ा और बीकानेर सहित प्रदेश के अन्य शहरों में भी दिवाली काफी धूमधाम से मनाई जाती है। पर्यटन के लिए इन शहरों को भी दिवाली के अवसर पर चुना जा सकता है। यहां की सजावट, सांस्कृतिक छटा और मनुहारी आभा से रूबरू होने के बाद आप इसे जीवन पर्यंत भूल नहीं पाएंगे।
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