पूर्वजों की समृद्ध विरासत और जीवंत संस्कृति को प्रदर्शित करता है ‘मत्स्य महोत्सव’

सिलिसर झील के किनारे 4 दिवसीय आयोजन में पैडलबोट रेस और हॉट एयर बलून राइड है मुख्य आकर्षण, लोक संगीत के साथ म्यूजिकल नाइट की सजेगी महफिल, सरिस्का सफारी का भी उठाया जा सकता है लुफ्त

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने ‘पृथ्वी पर पहले व्यक्ति मनु’ को बचाने के लिए मत्स्य अवतार लिया था। मत्स्य का अर्थ है मछली। मनु को ही धरती पर मनुष्य का जन्मदाता माना जाता है। अपने पूर्वजों और स्थानीय लोगों के लिए अपनी समृद्ध विरासत एवं जीवंत संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए ही मनाया जा है ‘मत्स्य महोत्सव’। राजस्थान के अलवर में आयोजित इस समारोह के ऐतिहासिक महत्व के कारण इसका नाम मत्स्य महोत्सव रखा गया है। इस साल मत्स्य उत्सव 24 नवंबर से 27 नवंबर को मनाया जाएगा। सिलिसर झील के किनारे होने वाले चार दिवसीय उत्सव में पर्यटकों के लिए संग्रहालय में प्रवेश निशुल्क रहेगा। 

इस त्योहार के दौरान होने वाली कार्यक्रमों को अलग-अलग किलों और महलों में आयोजित किया जाता है ताकि इनको भी लाइमलाइट में लाया जा सके। इंदिरा गांधी स्टेडियम, सिलिसर झील, नंगली सर्कल, महल चौक सिटी पैलेस और फतेह जंग गुंबद कुछ लोकप्रिय स्थान हैं जहां इस उत्सव के दौरान कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। देश—विदशों से पर्यटक और इतिहास के शौकीन मत्स्य उत्सव को देखने यहां आते हैं।

महाआरती के साथ होती है शुरुआत –

मत्स्य महोत्सव की शुरुआत श्रीजगन्नाथ जी मंदिर में महाआरती के साथ होती है। आरती के बाद लोक संगीत के साथ डांस परफॉर्मेंस होगी। मैराथन, कवि सम्मेलन, सागर में पैडल बोट, मूसी महारानी की छतरी पर फोटो प्रदर्शनी और पर्यटकों के लिए सरिस्का सफारी का आनंद भी इस दौरान उठाया जा सकता है। उत्सव में पहली बार शहर में होप सर्कस से सागर तक एक शोभायात्रा निकाली जाती है। शाम को सागर पर दीपदान का भी आयोजन होता है।

मेहंदी रंगोली प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता, सैंड आर्ट परफॉर्मेंस, चित्रकला प्रतियोगिता के साथ कई तरह के मनोरंजक आयोजन होंगे। शाम को महल चौक में म्यूजिकल नाइट में शिरकत की जा सकती है। इनके अलावा, पुरजन विहार पार्क में पेट एनिमल शो का मजा भी उठाया जा सकता है।  

फन और एडवेंचर स्पोर्ट्स –

इस उत्सव में का मुख्य आकर्षण पैडलबोट रेस, ईको ट्रेकिंग, पैरासेलिंग और हॉट एयर बलून राइड्स है जिसमें स्थानीय लोग के साथ-साथ पर्यटक भी बड़े उत्साह के साथ भाग लेते हैं। इन खेलों के अलावा, रस्साकशी, रुमाल झपट्टा और तीरंदाजी सहित अन्य स्थानीय खेलों में पर्यटक बड़े चांव से भाग लेते हैं।

इस उत्सव का एक हिस्सा प्रदर्शनी भी है जिसमें हस्तनिर्मित शिल्प वस्तुओं को प्रदर्शित किया जाता है। यहां एएसआई द्वारा खुदाई में निकाली गई प्राचीन कलाकृतियों को भी देखा जा सकता है। अलवर की भ्रमण यात्रा में वहां स्थित कई किलों, महलों, वन्यजीव अभयारण्यों और झीलों की सैर करने का भी विकल्प है। 

मत्सय उत्सव कैसे पहुंचे –

अगर आप ट्रेन या बस से सफर कर रहे हैं तो राजधानी जयपुर से अलवर के लिए थोड़े थोड़े समय में नियमित ट्रेन और बस की सुविधा उपलब्ध है। सड़क मार्ग से मत्स्य उत्सव तक पहुंचने के लिए आपको राजधानी जयपुर से करीब 160 किमी की दूरी तय करनी होगी। अगर आप रेल मार्ग से आ रहे हैं तो अलवर जंक्शन रेलवे स्टेशन निकटतम स्टेशन है। यहां से आप टैक्सी या बस ले सकते हैं।  हवाई मार्ग से सफर कर रहे हैं तो यहां आने के लिए निकटतम हवाई अड्डा जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा जयपुर है। दिल्ली, मुंबई सहित सभी महानगरों से नियमित उड़ानें यहां पहुँचती हैं।

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